Thursday, September 29, 2011

मोदी के उपवास पर न्यायालय न्याय



हाल में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा तीन दिवसीय उपवास कार्यक्रम के माध्यम से दिया सदभावना व सहयोग का संदेश राजनैतिक गलियारे में सराहनीय कदम बताया जा रहा है तथा इसके तुरंत बाद उच्च न्ययालय द्वारा कार्रवाई कर कार्यक्रम में हुए खर्चे का ब्यौरा मांगे जाने की प्रक्रिया भी कानून के गलियारे में सराहनीय रही है। ऐसे में  पूरी प्रक्रिया के दौरान लोगों से जो अनुभव मिला उसके आधार यह कहा जा सकता है कि इन दोनों सराहनीय कदमों से केवल राजनैतिक ही नहीं बल्कि सामाजिक स्तर पर भी सकारात्मक संदेश गया है। जो कि अपेक्षित भी है! 
अब प्रश्न यह उठता है कि जन-जन के इस आस्थापूर्ण मंदिर के पुजारी न्यायाधीशों ने यह कार्रवाई किस भावना से की! क्या वाकई में इस सकारात्मक कदम को उठाने की जिज्ञासा उनके हिृदय से निकली है! या फिर केन्द्र में सत्तारुण सरकार के कहने पर ! लेकिन न्यायालय में न्यायसाधीशों की कमी और जांच दलों में अफसरों की कमी के कारण आज कई महत्वपूर्ण मुद््दों पर जांच पड़ताल नहीं हो पा रही है, यहां तक कि देश में हुए बड़े-बड़े घोटाले और आतंकवादी घटनाओं से जुड़े केस व जांच पड़ताल अधर में लटके हुए हैं, जिससे पता चलता है कि इतन बड़े-बड़े केस पैंडिंग में होते हुए भ् ाी न्यायालय ने मोदी के उपवास को को ज्यादा प्राथमिकता दी है..जबकि देश आज आतंक और भ्रष्टाचार से बुरी तरह से जुझ रहा है। ऐसे में यह स्पस्ट रूप से दिखाई देता है कि यह कार्रवाई कानून की दृष्टि से नहीं बल्कि राजनीतिक दृष्टि से की गई है। 
 अगर न्यायालय ने मोदी से उपवास का ब्यौरा मांगकर वास्तविकता में हिहृय से कार्रवाई की है तो उम्मीद है कि न्यायालय जेल में कैद अफजल गुरू, अजमल कसाब जैसे आतंकियों के उपर हो रहे कुल खर्चे का ब्यौरा जेल प्रशासन व सुरक्षा प्रशासन से मांगेगी। जो राजनेता घोटालों में पकड़े जा रहे हैं उनसे केवल घोटाले का ही हिसाब नहीं बल्कि घोटाला करने की प्रोसेस में जो खर्च हुआ उसका और इन्हें चुनाव लड़ाने और जिताने में जो खर्चा आया उसका भी ब्यौरा न्यायालय मांगेगी। सोनियां गांधी से भी विदेश में हुई सर्जरी का हिसाब मांगेगी! 
वैसे भी अगर नरेन्द्र मोदी के उपवास पर मंच व्यवस्था में जो खर्च हुआ होगा इतना तो उनके साथ उपवास रखने वाले देश भर के लोंगों के उपवास में भोजन न खाने से बच गया होगा। लेकिन उनसे हिसाब कब मांगेगी जो प्रति दिन इतना खाते हैं,कि उसके सही हिसाब की खोजबीन में आज सीबीआई के अधिकारी कम पड रहे हैं और उनकी डकार पर निर्णय लेने में न्यायाधीश कम पड़ रहे हैं.........!

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